उस दिन कैंटीन मे कुछ खास नही हुआ..हम दोनो ने वहाँ अपना पेट भरा और फिर बिल सिदार के अकाउंट मे एड करा कर वापस आ गये...
कॉलेज मे कभी कोई एक ही एमोशन पर स्टेबल नही रह सकता, मतलब कि आज यदि कॉलेज मे दुख का माहौल है तो कल खुशी से गालियाँ देते हुए लड़के मिलेंगे....रिज़ल्ट अभी ही निकला था,कुछ उदास थे तो कुछ खुश....लेकिन अब सब खुश थे और फेयरवेल की तैयारियो मे जुटे हुए थे....तरह-तरह के गेम,क्विज़ कॉंपिटेशन से कॉलेज का माहौल एक बार फिर कुछ-कुछ वेलकम पार्टी की तरह हो गया था....क्लास से आधे स्टूडेंट्स फेयरवेल फंक्शन की तैयारी के लिए क्लास से गायब रहते और वेलकम पार्टी की तरह फेयरवेल पार्टी भी दो कबिलो मे बटी हुई थी... सिटी वालो का फेयरवेल अलग होता और हॉस्टल वालो का अलग....
लेकिन गेम्स और कॉनटेस्ट्स मे हॉस्टल वाले और सिटी वाले, दोनो ही मिलकर अपने बैच को जीताने के लिए पार्टिसिपेट करते.... क्यूंकि जाते -जाते लोग कुछ खास यादे लेकर जाना चाहते थे. इसलिए वो जितना हो सकते उतना गिले -शिकवे दूर करके एक साथ आने कि कोशिश करते. अरुण और मैने किसी भी गेम और कॉंटेस्ट मे पार्टिसिपेट नही किया था..लेकिन हमारे लीडर सिदार का गेम्स मे बहुत ज़्यादा इंटेरेस्ट था,इसलिए वो फिलहाल फेयरवेल के एक्टिविटीज मे एक्टिव था...
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ऐसा नही था कि मुझे गेम्स मे इंटेरेस्ट नही था, मैं बास्केटबॉल का एक शानदार खिलाड़ी था...मैं खुद को शानदार इसलिए कह रहा हूँ क्यूंकी बास्केटबॉल का मैं एक नॅशनल प्लेयर था. SGFI (School games federation of India) टूर्नामेंट मे हमारी टीम फाइनल नही पहुच पाई वरना इंडियन कैंप के होने वाले सेलेक्शन लिस्ट मे मेरा भी नाम आता...खैर मुझे उस बात का गम ना तो उस वक़्त था और ना ही अब है...क्यूंकी मैं अपना करियर हमेशा से ही इंजीनियरिंग फील्ड मे बनाना चाहता था...इसकी दो वजह थी...
पहली वजह ये थी कि बास्केटबॉल के गेम्स मे मेरा फ्यूचर ब्राइट नही हो सकता था और दूसरी वजह मैं खुद था...मैं खुद इस फील्ड मे और आगे नही जाना चाहता था....फेयरवेल मे पार्टिसिपेट ना करने का रीज़न मेरी सपनो की रानी ईशा के सपनो का राजा गौतम था...टीम्स ब्रांच वाइज़ डिवाइड हो रही थी और वो मेकॅनिकल ब्रांच की बास्केटबॉल टीम का कैप्टन गौतम था.... और श्री अरमान गुमनामी मे मर जाएगा, लेकिन उस टीम से कभी नहीं खेलेगा जिस टीम का कैप्टन गौतम हो...
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जिस रात फेयरवेल था उसके ठीक एक दिन पहले इनडोर, आउटडोर सारे कॉंटेस्ट ख़त्म हो चुके थे और सब फेयरवेल की तैयारी मे जुटे थे...सिवाय हॉस्टल वालो को छोड़ कर.....सिदार ने सभी हॉस्टल वालो को सॉफ मना कर दिया था कि हम मे से कोई भी फेयरवेल मे नही जाएगा...जिसको फेयरवेल बनाना हो वो सीनियर हॉस्टल मे आकर बनाए या फिर दिन भर हॉस्टल मे पड़ा रहे......
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जिस दिन फेयरवेल था उस दिन शाम को 5 बजे तक मैने भी ये सोच लिया था कि आज हॉस्टल मे रहूँगा, लेकिन कंट्री क्लब के तरफ की चकाचौंध ने मुझे मेरे फ़ैसले से हिलने पर मज़बूर कर दिया...इस वक़्त शाम के 6 बजे थे और वातावरण का तापमान लगभग 22°C था और मैं अपने हॉस्टल की छत मे सिगरेट के कश मारते हुए कंट्री क्लब की तरफ जाने वाले रोड पर अपनी नज़रें गढ़ाए हुए था...तभी मेरे दिल मे ख़याल आया कि ऐश कितनी प्यारी दिख रही होगी आज...?? दीपिका मैम का तो कहना ही क्या...लेकिन साला एक मैं हूँ जो सिर्फ़ यहाँ खड़ा होकर अपना कलेजा जला रहा हूँ और वो साले सिटी वाले बदसूरत लौन्डे पार्टी मे लौन्डियो के साथ ऐश कर रहे होंगे...ये सिदार भी पूरा ख़त्म इंसान है...ना खुद एंजाय करता है और ना ही दूसरो को करने देता है...
बीच -बीच मे सडक से निकलती कॉलेज कि लड़कियों को सज संवर कर जाता देख सामने से जाता देख मैं पागल हुआ जा रहा था, ऊपर से लौंडे -लौंडिया पिक और डालने लगे थे fb, insta me... साले, लाइव करके और दिल जला रहे थे. इसी गम मे जलते हुए मैने एक और सिगरेट जलाई और उसके कश मरता हुआ कुछ सोचने लगा....
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बाद मे जो मुझे समझ आया उसके हिसाब से यदि मुझे पार्टी मे जाना है तो भागकर,बिना किसी को बताए अकेले ही जाना होगा, क्यूंकी यदि अरुण और bhu भी साथ चलते है तो हॉस्टल मे किसी ना किसी को तो हवा लग ही जाएगी....इसलिए मैं चुपके से रूम मे घुसा और जल्दी -जल्दी तैयार होकर छत के रास्ते से ही कूड़कर बाहर निकल गया...
अब मेरे सामने इस वक़्त दो मुसीबत थी...पहला ये कि यदि वहाँ कुछ पंगा हो गया तो मुझे बचाने वाला कोई नही होगा और दूसरा ये कि फेयरवेल पार्टी के ख़त्म होने के बाद मैं रात भर कहाँ रुकुंगा...??? अपने हॉस्टल मे तो आने से रहा और यदि आधी रात को सीनियर हॉस्टल गया तो सिदार जान जाएगा कि मैं कंट्री क्लब का चक्कर मार कर आ रहा हूँ....फिलहाल मैने इन दोनो सवालो को अभी फिलहाल खुद से दूर किया और जल्दी -जल्दी छिपते -छीपाते हुए कंट्री क्लब की तरफ चल पड़ा....
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वेलकम पार्टी की तरह मैं आज खुल्ले सांड के जैसे बर्ताव नही कर सकता था और जितना हो सकता था.. उतना छुप कर रहना था...इसीलिए मैने डिसाइड किया कि मैं चुपके से नवीन के पास जाउन्गा और उसे लेकर एकदम पीछे कोने मे बैठ जाऊंगा, जहा लाइट ज्यादा ना पडे.. ताकि कोई मुझे देख ना सके.....लेकिन उसी पल मेरे दिमाग़ मे सवाल आया कि "मैं ये सब क्यूँ कर रहा हूँ...?"और फिर उसी पल मेरे दिल ने मेरे दिमाग़ को शांत करते हुए एक नाम लिया " ईशा ...."
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कंट्री क्लब के बाहर पहुंचकर मैने नवीन का नंबर मिलाया और उसे बाहर आने के लिए कहा...मैं कंट्री क्लब के बाहर हूँ ये जानकार उसे थोड़ा झटका लगा था... उसे ही क्या यदि उसकी जगह कोई और भी होता तो उसे भी झटका लगता...क्यूंकी वेलकम पार्टी की मेरी हरकत के बाद मैने खुद ने भी नही सोचा था कि मैं कॉलेज के किसी लेट नाइट प्रोग्राम मे जाउन्गा... ऊपर से सिदार कि बात को ना मानना... जबकि इस पुरे कॉलेज मे मेरा जो दबदबा है वो उसी के साथ के कारण था. टैलेंट मेरा था, इसमें कोई दो राय नहीं... लेकिन शुरुआत मे सिदार ने ही साथ दिया था. इसके बावजूद मैने उसकी बात कि लाज ना रखते हुए हॉस्टलर होते हुए भी यहाँ फेयरवेल पार्टी मे मौजूद था. मुझे नफरत है, जब लोग मेरे लिए नियम, कायदे, कानून बनाने लगते है तो... ..
मैं इस वक़्त नवीन के साथ फेयरवेल पार्टी मे था कि तभी मेरा मोबाइल बज उठा...स्क्रीन पर नज़र डाली तो अब झटका खाने की बारी मेरी थी...क्यूंकी कॉल दीपिका मैम की थी
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दीपिका मैम की कॉल देखकर मुझे कुछ अजीब सा लगा ,क्यूंकी जब से सेकेंड सेमेस्टर की शुरुआत हुई थी...मैं उसे भूलने लगा था, और रिज़ल्ट के बाद तो जैसे भूल ही गया था...लेकिन इस वक़्त मुझे फिर से उसकी याद आ गयी, मैने कॉल रिसीव किया..
"हां.."मैने कॉल रिसीव करके सीधे बोला.. क्यूंकि मुझे मालूम था कि अब वो मुझे कुछ करने तो देगी नहीं अपने साथ.. तो फिर फालतू का भाव क्यों देना...
"तुम मुझसे मिलो..."
जैसा कि मुझे उम्मीद थी,वो तेज आवाज़ मे बोली थी...जिससे मैने अंदाज़ा लगाया कि वो अभी टीचर्स के साथ नही बैठी है...लेकिन मैने फिर भी एक बार सामने की तरफ नज़र डाली...
"सामने क्या टुकूर-टुकूर देख रहा है..."
"आप हो कहाँ..."
"तुझे ज़रा सा भी अंदाज़ा है कि उस दिन रात के 2 बजे कॉल करके तुमने मुझे क्या कहा था....?"
"नही..मुझे बिल्कुल भी याद नही ...और प्लीज़ मैम , अभी मत बुलाओ..वो क्या है कि मैं हॉस्टल से भाग कर फेयरवेल पार्टी मे आया हूँ यदि सिटी वालो मे से किसी ने पकड़ लिया तो फिर गये काम से...."
"तब तो तुम जल्दी से कंट्री क्लब की बाइक पार्किंग की तरफ भागो..."
"वो क्यूँ..."
"क्यूंकी मैं वरुण और गौतम को ये बताने जा रही हूँ कि उनका दुश्मन हॉस्टल से भागकर यहाँ किसी कायर की तरह बैठा है..."
"अरे मैम ,लफडा हो जाएगा..."
"वो मेरी प्राब्लम नही है..."
"ठीक है,मैं आ रहा हूँ... बस आप खोल कर रखिये... अपना दिल...."
नवीन से बहाना बनाकर मैं चुपके से पार्किंग की तरफ खिसक लिया जहाँ स्कूटी पर दीपिका मैम अपनी बडी सी तशरीफ़ टिकाये हुए crossed leg बैठी हुई थी....मुझे देखते ही वो मुस्कुराइ और उसकी इसी अदा ने मुझे कन्फ्यूज़ कर दिया कि...ये इतनी खुश कैसे है..? जबकि कुछ देर पहले तो चिल्ला ऐसे रही थी..जैसे कि मेरा मर्डर कर देगी...
"आपने बुलाया..."उसकी तरफ और आगे बढ़ते हुए मैने पूछा ...
"पीछे बैठो..."
"Where are we going, mam...?..."
"चुप चाप बैठ... Saale "
जब मैं फेयरवेल की पार्टी से बीच मे उठकर आया था तब मैं किसी दूसरे मूड मे था...लेकिन जब से दीपिका मैम को देखा था तब से मेरा मूड बदल गया था....जोरदार मेकप के साथ उसका गोरा रंग काफ़ी खिला हुआ था और उसपर से उसके टाइट ड्रेस मे क़ैद शरीर के उभारों ने मेरे मुँह मे पानी ला दिया था और तभी मेरी नज़र अपने आप उसके कमर के नीचे अटक गयी.... उसके शरीर के उन अंगों को देख मैं अपने कई सवालो का जवाब ढूँढ रहा था ,जैसे कि दीपिका मैम ने मुझे देखा कैसे...? वो पार्टी से वापस क्यूँ जा रही है..? और सबसे बड़ा सवाल ये था कि उसने मुझे अभी बुलाया क्यूँ है....??
जबकि उस रात मैने उसके साथ बदतमीज़ी की थी और मैं तो अब उसका स्टूडेंट भी नही था...और जहाँ तक मैं सोच सकता था उसके अनुसार उसके पास लड़को की कमी नही थी और यदि वो किसी नये बंदे के साथ वो सब करना चाहती थी, जो उसने मेरे साथ 1st semester मे किया तो एक नहीं बल्कि एक सौ लड़के एक मिनट मे तैयार हो जायेंगे... उसके साथ वो सब करने के लिए शायद ही कोई स्टूडेंट उन्हे मना करता... स्टूडेंट को छोडो, दीपिका मैम इतनी जबरदस्त माल थी कि यदि वो किसी टीचर के आगे भी ये प्रपोज़ल रखती तो टीचर भी फेयरवेल पार्टी की चकाचौंध को छोड़ कर उनकी स्कूटी के पीछे उनसे चिपक कर बैठने के लिए तुरंत तैयार हो जाता... फिर मेरी क्या बिसात, जो मैं इंकार करू...
मैं इस वक़्त दीपिका मैम की स्कूटी मे उनसे चिपक कर बैठा हुआ था और हर बीत रहे सेकंड मे और आगे खिसकने कि कोशिश करता... जिससे हम दोनों के जिस्म बुरी तरह एक दूसरे से चिपके हुए थे. उसके शरीर से आती हुई पर्फ्यूम की खुश्बू भी मेरे अंदर एक अलग किस्म का हवस उत्पन्न कर रहा था...दिल कर रहा था कि दीपिका मैम के जिस्म को दबोचकर यही स्कूटी रुकवाऊ और यही स्कूटी पर ही उनके साथ सब कुछ कर डालू....लेकिन ऐसा करने से एक प्राब्लम हो सकती थी, यदि मैं अभी इसी वक़्त ज़ोर से दीपिका मैम के मादक अंगों पर फोर्स अप्लाइ करता तो दीपिका मैम का बैलेंस बिगड़ सकता था...जो कि मैं नही चाहता था...इसलिए फिलहाल मैं सिर्फ उनसे सट कर बैठा रहा....दीपिका मैम ने स्कूटी किस सड़क पर दौड़ाई मुझे याद नही... किधर मोडा, कुछ भी याद नहीं...
क्यूंकी पूरे रास्ते भर मैं अपने हवस के समुन्दर मे आँखे बंद किये हुए गोते लगा रहा था....
Barsha🖤👑
26-Nov-2021 06:15 PM
बहुत खूबसूरत भाग
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